Friday 6 July 2012

पटना...

1.इंकमटैक्स चौराहा
इंकम टैक्स के बिल्डिंग के सामने
बारिश में भींगती
आधी नंगी, फटेहाल एक औरत
ताक रही है उपर
मैं उसकी आंखों में ढ़ूंढने लगता हूं पानी
लेकिन नहीं दिखता मुझें वहां पानी।

2.हाइकोर्ट
वहीं थोड़ी ही दूर बढ़ता हूं हाइकोर्ट
मैं पगला जाता हूं
बथानी की दुधमुंही बच्ची
जिसे हवा में उछाल चीर दिया गया था
रो रही है अभी भी
चक्कर काटते हुए।

3.बांसघाट
बांसघाट पहुंचते ही
डर के मारे भागने लगता हूं
ब्रह्मेश्वर मुखिया वहां नाच रहा है
जैसे बथानी-मियांपुर से नाचते-नाचते
आ गए थे उसके लोग
पटना की सड़कों पर 2 जून को।

4.गांधी मैदान
और फिर पहुंच जाता हूं गांधी मैदान
मिल गए अंधे अब्दुल मनान
गीत गाते
ढ़ूंढता हूं उनकी आंखों में
रसभरी गीतों की चमक
लेकिन वहां तो कुछ है ही नहीं,
तभी चिढ़ाने लगता है मुझे
और मनान साहब को भी
सामने खड़ा उद्योग-भवन
दूसरी तरफ बिस्कोमान
और तीसरी ओर होटल मौर्या में इतराता बिहार का विकास,
मैं चिढ़ जाता हूं
मनान साहब तो देख ही नहीं सकते ना।

5.ऑफिस की ओर
अपने ऑफिस की ओर दौड़ने लगता हूं
बुद्धमार्ग
भव्य एस्कॉन मंदिर के सामने ही
सड़क किनारे
उंकड़ूं पड़ी हुई है एक बुढ़िया
मैं ढूंढने लगता हूं उसमें शांति
सचमुच सूख के शांत हो चुकी है वह
हमेशा के लिए
सुबह उसे झाड़ू से बुहार दिया जाएगा।

6.पटना जंक्शन
भीड़ खिंच ले जाती है मुझे
पटना जंक्शन
बाप रे! लोगों का रेला
जनरल में ठूंस-ठूंस
एक-दूसरे का पिचपिचा पसीना चखते
चला जा रहा है खाली गठरी लिए            
दिल्ली, बंबई, बंगलुरु
दूसरे प्लेटफॉर्म पर खड़ी है राजधानी।

7.स्टेशन के बाहर
भीड़ से बचने की कोशिश में
निकल आता हूं बाहर
एसबीआई एटीएम के पास ही मिल जाता है
मरता हुआ एक बूढ़ा
मैं ढ़ूंढ़ने लगता हूं उसका पेट
कहां चला गया उसका पेट?
लोग लाईन में खड़े निकाल रहे हैं पैसे।

8.और घर
पेट
अरे! याद आया मुझे भी भूख लगी है
मैं जल्दी-जल्दी भागता हूं घर
देखता हूं मां को
सूज गया है
उसका चेहरा, हाथ-पांव, पेट
मैं समझ जाता हूं
लेकिन मां को पता ही नहीं
कि वह बीमार है,
और मैं अभी भी दौड़ रहा हूं...

-सरोज

( बांसघाट- इसी घाट पर रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की अंत्येष्टि की गई थी
  2 जून, 2012- ब्रह्मेश्वर मुखिया की शवयात्रा में समर्थकों ने पटना में उत्पात मचाया था )

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